पाठ – 1
जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
In this post we have given the detailed notes of class 12 geography chapter 1 Jansankhyan: vitran, ghanatav, vridhi or sanghatan (Population: Distribution, Destiny, Growth and Composition) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 1 जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन (Population: Distribution, Destiny, Growth and Composition) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन (Population: Distribution, Destiny, Growth and Composition) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
- 1. पाठ – 1
- 2. जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
- 3. जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
- 4. जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक: –
- 5. भारत में जनसंख्या घनत्व
- 6. जनसंख्या की वृद्धि
- 7. जनसंख्या परिवर्तन के घटक
- 8. भारत में जनसंख्या वृद्धि की अवस्थाएं
- 9. भारत में जनसंख्या वृद्धि में क्षेत्रीय विभिन्नता
- 10. जनसंख्या संघटन
- 11. ग्रामीण नगरीय संगठन
- 12. श्रमजीवी जनसंख्या का संगठन
- 13. भारत में श्रमिकों का आर्थिक क्षेत्रों के अनुसार वर्गीकरण
- 14. भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा नीति 2003
- 15. वर्तमान दौर में किशोरों की मुख्य समस्याएं चुनौतियां
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जनसँख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
- जनसंख्या वितरण से अभिप्राय किसी विशेष क्षेत्र में लोगों के वितरण से है आसान भाषा में समझे तो किसी विशेष क्षेत्र मे लोग कितनी संख्या में रहते हैं और कहां रहते हैं उसी को जनसंख्या वितरण कहते हैं
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक: –
भौगोलिक कारक
- जल की उपलब्धता
- भू आकृति
- जलवायु
- मृदा
आर्थिक कारक
- खनिज
- नगरीकरण
- औद्योगिकरण
सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक
- धार्मिक महत्व
- अशांति
- खराब सामाजिक वातावरण
राजनीतिक कारण
- अस्थिर राजनीतिक स्थिति
- खराब कानूनी व्यवस्था
जनसंख्या का घनत्व
- प्रत्येक वर्ग किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहा जाता है दूसरे शब्दों में कहें तो किसी देश के अंदर एक वर्ग किलोमीटर मैं रहने वाले लोगों की संख्या को उस देश का जनसंख्या घनत्व कहा जाता है
- जनसंख्या घनत्व मापने के लिए कुल जनसंख्या को कुल क्षेत्रफल से भाग दिया जाता है
उदाहरण
: –
- मान लीजिए किसी देश की जनसंख्या 10,00,000 है और वहां का क्षेत्रफल 10,000 वर्ग किलोमीटर है
- इस स्थिति में वहां का जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर होगा
भारत में जनसंख्या घनत्व
2011 की जनगणना अनुसार: –
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है
- तुलना के लिए अगर हम देखें तो 1951 में भारत का जनसंख्या घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था
भारत में राज्यों के अनुसार जनसंख्या घनत्व: –
- भारत में उपस्थित विशाल जनसंख्या भारत के हर राज्य में अलग-अलग रूप से वितरित है इसी वजह से भारत के हर राज्य का जनसंख्या घनत्व अलग-अलग है
भारत में राज्य की श्रेणियां
- जनसंख्या घनत्व के आधार पर भारत के राज्यों को मुख्य तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है
उच्च जनसंख्या घनत्व वाले राज्य
- उत्तर प्रदेश 829
- बिहार 1101
- पश्चिम बंगाल 1029
- केरल 859
- तमिलनाडु 555
मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य
- हरियाणा
- झारखंड
- आंध्र प्रदेश
- गुजरात
- असम
निम्न जनसंख्या घनत्व वाले राज्य
- अंडमान निकोबार
- अरुणाचल प्रदेश
नोट: – भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर अरुणाचल प्रदेश में है भारत में सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व भारत की राजधानी दिल्ली में है यहां का जनसंख्या घनत्व 11297 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
जनसंख्या की वृद्धि
- किसी क्षेत्र में एक विशेष समय के दौरान हुए जनसंख्या परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
- अगर उस क्षेत्र की जनसंख्या उस समय के दौरान बढ़ती है तो उसे धनात्मक जनसंख्या वृद्धि कहते हैं
- अगर क्षेत्र की जनसंख्या उस समय के दौरान घटती है तो उसे ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
धनात्मक जनसंख्या वृद्धि
- अगर एक समय के दौरान किसी क्षेत्र में जनसंख्या बढ़ती है तो उसे धनात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि
- अगर एक समय के दौरान किसी क्षेत्र में जनसंख्या घटती है तो उसे ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
जनसंख्या परिवर्तन के घटक
जन्म दर
- अशोधित जन्म दर: –
- अशोधित जन्म दर का संबंध हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए गए जीवित बच्चों से है
- मान लीजिए अगर एक समय अंतराल के दौरान क्षेत्र में हजारे स्त्रियों द्वारा 20 बच्चों को जन्म दिया जाता है तो उस क्षेत्र की अशोधित जन्म दर 20 होगी
- सूत्र: –
- अशोधित जन्म दर: –
मृत्यु दर
- अशोधित मृत्यु दर: –
- 1 वर्ष के दौरान किसी क्षेत्र में हजार लोगों पर मरने वालों की संख्या को अशोधित मृत्यु दर कहा जाता है
- सूत्र: –
- अशोधित मृत्यु दर: –
भारत में जनसंख्या वृद्धि की अवस्थाएं
प्रथम अवस्था 1901 से 1919 स्थिर वृद्धि
- इस दौर में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर निम्न थी 1911 से 21 के दौर में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर ऋणआत्मक भी दर्ज की गई थी।
- इस दौर में भारत में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों उच्च थे जिस वजह से वृद्धि दर निम्न थी
- जन्म और मृत्यु दर उच्च होने के निम्न कारण थे: –
- उस दौर में भारत में उपलब्ध स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं अत्यंत निम्न दर्जे की थी जिस वजह से मृत्यु दर उच्च थी अधिकतर लोग अशिक्षित थे जिस वजह से देश में जन्म दर उच्च थी भोजन अन्य आधारभूत आवश्यकता की उपलब्धता कम थी और असमान वितरण था जिस वजह से जन्म दर और मृत्यु दर दोनों उच्च थे।
द्वितीय अवस्था 1921 से 1951 निरंतर वृद्धि
- इस दौर में भारत में स्थिर जनसंख्या वृद्धि हुई
- इस दौर में पिछली अवस्था की तुलना में वृद्धि दर ज्यादा थी
- ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आया और देश में स्वच्छता बड़ी जिस वजह से मृत्यु दर नीचे आई
- जन्म दर सामान बनी रही जिस वजह से जनसंख्या वृद्धि दर तेज हुई
तृतीय अवस्था 1951 से 1981 तीव्र वृद्धि
- इस दौर को भारत में जनसंख्या विस्फोट के अवधि के रूप में देखा जाता है अन्य शब्दों में समझें तो इस दौर में भारत की जनसंख्या वृद्धि की दर सबसे तीव्र थी ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और कल्याणकारी नीतियों के कारण मृत्यु दर में गिरावट आई और प्रजनन दर में वृद्धि हुई जिस वजह से जनसंख्या विस्फोट हुआ यानी जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी।
चतुर्थ अवस्था 1981 से वर्तमान घटती वृद्धि
- इस दौर में धीरे धीरे जनसंख्या वृद्धि दर घटने लगी क्योंकि देश में शिक्षा का प्रसार हुआ विवाह की औसत आयु में वृद्धि आई और लोगों की जीवन गुणवत्ता सुधारने के कारण जन्म दर नीचे आने लगी।
भारत में जनसंख्या वृद्धि में क्षेत्रीय विभिन्नता
- भारत के प्रत्येक राज्य में जनसंख्या वृद्धि की दर अलग-अलग है कुछ राज्य जैसे कि केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम है
- जबकि कुछ अन्य राज्य में जनसंख्या वृद्धि दर उच्च रही है
- इसका मुख्य कारण भारत के अलग-अलग राज्यों में उपलब्ध सुविधाओं में विभिन्नता शिक्षा के स्तर में विभिन्नता, सांस्कृतिक विभिन्नता एवं विभिन्न आर्थिक स्तर है।
जनसंख्या संघटन
- जनसंख्या संघटन जनसंख्या संगठन का अभिप्राय एक देश की जनसंख्या का उसकी विशेषताओं जैसे कि आयु लिंग व्यवसाय आदि के आधार पर वर्णन करना जनसंख्या संघटन कह लाता है।
ग्रामीण नगरीय संगठन
- भारत की जनसंख्या रहने के स्थान के अनुसार मुख्य रूप से दो भागों में बटीहुई है
- ग्रामीण जनसंख्या
- नगरीय जनसंख्या
ग्रामीण जनसंख्या
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 640867 गांव है इन सभी गांव में जनसंख्या का वितरण असमान है
- कुछ विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व ज्यादा है जबकि अन्य क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बहुत कम है
भाषाई संगठन
- ग्रियर्सन के द्वारा 1903 से 1928 के दौर में भारत का भाषाई सर्वेक्षण किया गया था
- इस सर्वेक्षण के अनुसार उस दौर में भारत में 189 भाषाएं एवं 544 के आसपास बोलियां थी
- भारत में हिंदी बोलने वाले लोगों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है जबकि कश्मीरी एवं संस्कृत भाषा सबसे कम बोली जाती है
भाषाई वर्गीकरण
- भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को मुख्य रूप से 4 परिवारों में बांटा जाता है
- ऑस्ट्रिक 1.38% मेघालय निकोबार द्वीप समूह पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम आदि
- द्रविड़ 20% तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश आदि
- चीनी तिब्बती 0.5% हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम आदि
- भारतीय यूरोपीय आर्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, उड़ीसा आदि
धार्मिक संगठन
- भारत में अनेकों धर्म को मानने एवं उनकी उपासना करने वाले लोग रहते हैं
- भारत में जनसंख्या का धार्मिक वितरण अत्यंत असामान्य है
- कुछ राज्यों के अंदर किसी विशेष दल को मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है जबकि अन्य राज्यों में उस धर्म को मानने वाले लगभग ना के बराबर लोग रहते हैं
श्रमजीवी जनसंख्या का संगठन
- आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को 3 वर्गों में बांटा जाता है
मुख्य श्रमिक
- बस अमित जिन्होंने वर्ष में कम से कम 183 दिन काम किया हो मुख्य श्रमिक कहलाते हैं
सीमांत श्रमिक
- वह श्रमिक जिन्होंने 1 वर्ष के दौरान 183 दिन से कम काम किया हो सीमांत श्रमिक कहलाते हैं
अश्रमिक
- वे लोग जो 1 वर्ष के दौरान किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं करते अर्थात बेरोजगार रहते हैं और श्रमिक कहलाते हैं
भारत में श्रमिकों का आर्थिक क्षेत्रों के अनुसार वर्गीकरण
- भारत की जनसंख्या का आर्थिक क्षेत्रों के अनुसार विभाजन अत्यंत और सामान है
- भारतीय जनसंख्या का लगभग 50% से अधिक हिस्सा प्राथमिक क्षेत्रों में कार्यरत है
- लगभग 40% हिस्सा तृतीय ज्ञानी सेवा क्षेत्र में कार्यरत है एवं
- 3.8% हिस्सा उत्पादन कार्य यानि द्वितीय क्षेत्र में कार्यरत है
भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा नीति 2003
- यानी कि मुख्य रूप से भारत में युवाओं के विकास के लिए बनाई गई थी
- ताकि भारत की युवा जनसंख्या को सशक्त करके भारत में विकास की गति को बढ़ाया जा सके
- इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों पर जोड़ दिया गया था
- युवा व किशोरों के विकास पर बल
- युवाओं में देश भक्ति की भावना पैदा करना
- युवाओं को उत्तरदायित्व का महत्व सिखाना
- युवाओं के गुणों में वृद्धि करना
वर्तमान दौर में किशोरों की मुख्य समस्याएं चुनौतियां
- निरक्षरता
- बुरी आदतें
- निम्न विवाह आयु
- मार्गदर्शन की कमी
- पोषण की कमी
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Very good 😊 notes
Hii sir
Ramkumar RunDla