पाठ – 4
In this post we have given the detailed notes of class 12 geography chapter 4 Manav bastiyan (Human Settlements) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 4 मानव बस्तियां (Human Settlements) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 4 |
Chapter Name | मानव बस्तियां (Human Settlements) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
- 1. पाठ – 4
- 2. मानव बस्तियां
- 3. मानव बस्तियां
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- मानव बस्ती उस क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर मानव स्थाई रूप से बसा हुआ हो।
- दूसरे शब्दों में वह क्षेत्र जहां पर लोग स्थाई रूप से रहते हैं एवं अपना जीवनयापन करते हैं मानव बस्तियां कहलाता है।
- मानव बस्तियों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है: –
ग्रामीण बस्तियां
- वह बस्तियां जो आकार में छोटी होती हैं एवं वहां के निवासी मुख्य रूप से प्राथमिक कार्य जैसे कि कृषि, पशुपालन, मछली पालन आदि से जुड़े होते हैं ग्रामीण बस्तियां कहलाती है।
नगरीय बस्तियां
- वह बस्तियां जिनकी जनसंख्या अधिक होती है एवं जहां पर अधिकांश लोग तृतीय क्षेत्र यानी सेवा क्षेत्र में कार्यरत होते हैं नगरीय बस्तियां कहलाती हैं।
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार
भारत में ग्रामीण बस्तियों को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा जाता है
गुच्छित बस्तियाँ
- इस प्रकार की बस्तियां मुख्य रूप से उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और भारत के उत्तर पूर्वी राज्य में पाई जाती हैं।
- यह घनी बस्तियां होती हैं, यहां पर मकान पास – पास होते हैं।
- यहां पर कम क्षेत्र में ज्यादा लोग रहते हैं।
अर्ध गुच्छित बस्तियां
- जब मुख्य गांव से अलग होकर 1 वर्ग, गांव से थोड़ी दूरी पर रहने लगता है तो अर्ध गुच्छित बस्तियों का निर्माण होता है।
- ऐसा तब होता है जब गांव का ताकतवर वर्ग गांव के मुख्य क्षेत्र पर प्रभाव जमा लेता है और निचले वर्ग को गांव से बाहर रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
- मुख्य रूप से यह एक विशाल गांव के आसपास छोटे-छोटे गुच्छों में बसी बस्तियां होती हैं।
पल्लीकृत बस्तियां
- यह मुख्य रूप से बस्तियों का एक समूह होता है।
- जो छोटे-छोटे भागों में बसा होता है इन सभी बस्तियों को एक ही नाम से जाना जाता है परंतु यह एक दूसरे से दूर स्थित होते हैं।
- ऐसी बस्तियां मुख्य रूप से गंगा के मैदानों, छत्तीसगढ़ और हिमाचल की घाटियों में पाई जाती हैं।
परिक्षिप्त बस्तियां अथवा एकाकी बस्तियां
- इस प्रकार की बस्तियों में मकान काफी दूर-दूर बने होते हैं इन्हें एकाकी बस्ती के नाम से भी जाना जाता है ऐसी बस्तियां मुख्य रूप से जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों आदि में पाई जाती हैं भारत में यह मुख्य रूप से मेघालय, उत्तरांचल एवं में हिमाचल प्रदेश में देखने को मिलते हैं।
ग्रामीण बस्ती अलग अलग प्रकार की क्यों होती हैं?
- भौतिक कारण
- भू-भाग की प्रकृति
- ऊंचाई
- जलवायु
- जल की उपलब्धता
- सांस्कृतिक कारण
- सामाजिक संरचना
- जाति
- धर्म
नगरीय बस्तियां
- वह बस्तियां जिनकी जनसंख्या अधिक होती है एवं जहां पर अधिकांश लोग तृतीय क्षेत्र यानी सेवा क्षेत्र में कार्यरत होते हैं नगरीय बस्तियां कहलाती हैं।
भारत में नगरों का वर्गीकरण
- भारत में नगरों का वर्गीकरण मुख्य रूप से दो आधार पर किया जाता है।
- नगरों के विकास का समय
- नगरों के कार्य
नगरों का वर्गीकरण: समय के आधार पर
विभिन्न युगों में नगरों के विकास के आधार पर भारत के नगरों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा जाता है।
प्राचीन नगर
- भारत में कई ऐसी जगह भी है। जिनका इतिहास 2000 साल से भी पुराना है, ऐसे नगरों को प्राचीन नगरों की श्रेणी में रखा जाता है, उदाहरण के लिए प्रयागराज, वाराणसी, पाटलिपुत्र (पटना) आदि।
मध्यकालीन नगर
- वर्तमान में लगभग 100 से अधिक नगरों का इतिहास मध्यकाल से जुड़ा हुआ है इसमें शामिल ज्यादातर नगर रजवाड़ा और राज्य के मुख्यालय के रूप में विकसित हुए।
- इस वर्ग में शामिल मुख्य नगर दिल्ली जयपुर लखनऊ आगरा हैदराबाद और नागपुर है।
आधुनिक नगर
- पश्चिम से भारत में आए अंग्रेजों और यूरोपीय लोगों ने भारत में अनेकों नगरों का विकास किया।
- शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा कई स्थानों पर बंदरगाहों की स्थापना की गई जिसमें सूरत, दमन, गोवा, पांडिचेरी आदि नगरों का उदय हुआ।
- इसके बाद अंग्रेजों ने मुंबई चेन्नई और कोलकाता जैसे नगरों का विकास किया।
नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण
भारत में कई ऐसे नगर है, जो अपनी विशेष सेवाओं के कारण जाने जाते हैं। इन्हीं विशेष सेवाओं के आधार पर भारतीय नगरों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जाता है: –
प्रशासनिक नगर
- ऐसे नगर जहां पर उच्च स्तर के प्रशासनिक मुख्यालय होते हैं, प्रशासनिक शहर कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए
- चंडीगढ़, नई दिल्ली, भोपाल, श्री नगर, गांधी नगर, जयपुर
औद्योगिक नगर
- ऐसे नगर जो मुख्य रूप से उद्योगों के लिए जाने जाते हैं, औद्योगिक नगर कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए
- मुंबई, कोयंबटूर, मोदी नगर, भिलाई, हुगली आदि।
परिवहन नगर
- ऐसे पतन नगर जो मुख्य रूप से आयात और निर्यात के कार्यों से जुड़े हुए हैं, परिवार नगर कहलाते है।
उदाहरण के लिए
- विशाखापट्टनम, कोच्चि आदि।
वाणिज्यिक नगर
- वे क्षेत्र जो विशेष रूप से व्यापार एवं वाणिज्य से जुड़े हुए हैं, वाणिज्यिक नगर कहलाते है।
उदाहरण के लिए
- कोलकाता, सहारनपुर
खनन नगर
- वह क्षेत्र जिस जगह खनन कार्य किये जाते है, खनन नगर कहलाते है।
उदाहरण के लिए
- रानीगंज, अंकलेश्वर, सिंगरौली आदि।
धार्मिक और सांस्कृतिक नगर
- वह नगर जिसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है, धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगर कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए
- हरिद्वार, अजमेर, तिरुपति, वाराणसी, मथुरा आदि।
शैक्षिक नगर
- वह नगर जिन्हें शिक्षा के केंद्र के रूप में जाना जाता है, शैक्षिक नगर कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए
- रुड़की, वाराणसी, अलीगढ़, इलाहाबाद आदि।
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Really very helpful notes they provided …❣️