पाठ – 1
कार्नेलिया का गीत
In this post we have mentioned detailed summary of class 12 Hindi chapter 1
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 1 कार्नेलिया का गीत की Detailed Summary दी गई है । यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
कार्नेलिया का गीत
कवि: – जयशंकर प्रसाद
पाठ का परिचय
- यह कविता जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक “स्कंदगुप्त” से ली गई है
- सिकंदर एक यूनानी शासक था और इसका एक सेनापति था सेल्यूकस, कार्नेलिया सेल्यूकस की बेटी है
- इस गीत में कार्नेलिया भारत देश की विशेषताओं का वर्णन करती है क्योंकि वह भारत की सुंदरता से प्रभावित हो जाती है
अरूण यह मधुमय देश हमारा!
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
- पहली लाइन में कार्नेलिया कहती है कि भारत देश मिठास से भरा हुआ है यहां के लोगों में भी मिठास है और हर अनजान व्यक्ति भारत में अपना सा लगता है
- किसी भी धर्म का मनुष्य कहीं से भी आया हो भारत उसे रहने की जगह देता है
सरस तामरस गर्भ विभा पर-नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर-मंगल कुंकुम सारा!
- कार्नेलिया कहती है कि जब भारत में सूरज उगता है तब वह बहुत ही मनमोहक लगता है
- जब सूर्य उगता है तब तालाबों पर सूरज की किरणें पड़ती है और वहां के फूल खिल कर अपनी सुंदरता को और बढ़ाते हैं वह कहती है कि यहां का सारा जीवन मनमोहक सा लगता है
- कार्नेलिया भारत के प्राकृतिक रूप का वर्णन करती है और कहती है कि जब यहां के खेतों में सूरज की किरणें पड़ती हैं ऐसा लगता है कि जैसे संपूर्ण विश्व की खूबसूरती यहां आ गई हो
लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।
उड़्ते खग जिस ओर मुँह किए-समझ नीड् निज प्यारा।
- जब सुबह के समय शीतल पवन का सहारा लेकर मलय पर्वत की ओर पक्षी उड़ते हैं तो वह बहुत खूसबसुरत दृश्य होता है
बरसाती आँखों के बादल-बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनार।
- कार्नेलिया कहती है जिस प्रकार मुरझाए हुए पौधों के लिए वर्षा जरूरी है उसी प्रकार भारत के लोग निराशा से भरे लोगों को आशा देते है और सकारात्मक सोच के साथ लोगो को जीवन ख़ुशी के साथ जीने के लिए प्रेरित करते है
- अनेकों बड़ी-बड़ी लहरें भी भारत से टकराकर शांत हो जाती हैं अर्थात समुंदर की लहरों को भारत में आकर शांति की अनुभूति होती है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार किसी दूसरे देश से आए लोगों को भारत में आकर शांति की अनुभूति होती है
- कार्नेलिया कहती है जैसे ही सुबह होती है वैसे ही सभी सितारे हल्के होने लगते हैं जैसे कि वह रात भर जागे हों और सुबह सूरज के उठते ही उनके सोने का समय हो गया हो
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारण।
- कार्नेलिया कहती है कि जब सूरज उगता है तो वह नई आशाएं लेकर आता और वह अपनी किरणों के माध्यम से संपूर्ण भारत में सकारात्मक सोच भेजता है
- प्रातः काल में भारत के लोग बहुत ही खुश दिखाई देते हैं
विशेष
- इस गीत में भारत देश की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया गया है
- सरल भाषा का प्रयोग किया गया है
- उषा और तारों का मानवीकरण किया गया है
Super