CH – 1
Indian civilization and culture
In this post we have given the summary of the chapter “Indian civilization and culture”. It is the 1st chapter of the prose of Class 12th Bihar board English.
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Written by Mahatma Gandhi
The full name of Mahatma Gandhi was Mohan Das Karamchand Gandhi. He was born on 2 October in Gujarat. He was also known as Bapu or the father of the nation. He was not just a lawyer or politician but also a great spiritual leader. With truth and nonviolence he wiped out the British rule from India. On 30 January 1948 he was shot by Nathuram Godse and took his last breath.
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात में हुआ था। उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता था। वे केवल एक वकील या राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि एक महान आध्यात्मिक नेता भी थे। सत्य और अहिंसा से उन्होंने भारत से ब्रिटिश शासन का सफाया कर दिया। 30 जनवरी 1948 को उन्हें नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी और उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
Introduction of the chapter
In this chapter Gandhi ji mainly talks about the strong foundation of India and its civilisation as it has remained same, strong and still in every generation and situation. He also says that western world’s materialistic approach cannot match the indian civilization which is focused on elevating the moral being.
इस अध्याय में गांधी जी मुख्य रूप से भारत की मजबूत नींव और इसकी सभ्यता के बारे में बात की हैं क्योंकि यह हर पीढ़ी और स्थिति में समान, मजबूत बनी रही है । पश्चिमी दुनिया का भौतिकवादी दृष्टिकोण भारतीय सभ्यता से मेल नहीं खा सकता है, जो नैतिक अस्तित्व को ऊपर उठाने पर केंद्रित है।
About the Chapter
Gandhiji says that I am sure that India’s civilization is not going to beat anywhere in this developed world. No one can match the culture developed by our ancestors. If we see in the world, many big civilizations have ended, for example Roman civilization, Greek civilization but India’s civilization is still intact. Despite all the challenges and external attacks, the beauty of India remains intact and this is its biggest feature.
गांधी जी कहते हैं कि मुझे यकीन है कि भारत की सभ्यता इस विकसित दुनिया में कहीं भी मात खाने वाली नहीं है। हमारे पूर्वजों द्वारा विकसित की गई संस्कृति की बराबरी कोई भी नहीं कर सकता । अगर हम विश्व में देखें तो कई बड़ी-बड़ी सभ्यताएं समाप्त हो गई उदाहरण के लिए रोमन सभ्यता, यूनानी सभ्यता परंतु भारत की सभ्यता अभी भी बरकरार है। सभी चुनौतियों और बाहरी आक्रमणों के बाद भी भारत की सुंदरता बरकरार है और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
The people of India have always been accused that they are illiterate and uncivilized and it is very difficult to persuade them for any change. It is a challenge to India’s superiority. According to Gandhiji there is no need for any change in India and Indian culture. Many people have tried to impose their ideas on India but still Indian people have remained steadfast with their culture and ideas. This is the beauty and last hope of Indian civilization.
भारत के लोगों पर सदैव यह आरोप लगाया गया है की वह अनपढ़ एवं असभ्य है और उन्हें किसी भी बदलाव के लिए राजी कर पाना बहुत मुश्किल है। यह भारत की श्रेष्ठता के लिए एक चुनौती है। गांधीजी के अनुसार भारत और भारतीय संस्कृति को किसी भी परिवर्तन की कोई जरूरत नहीं है। बहुत से लोगों ने भारत पर अपने विचारों को थोपने की कोशिश की है लेकिन फिर भी भारतीय लोग अपनी संस्कृति और विचारों के साथ स्थिर रहे हैं। यही भारतीय सभ्यता की खूबसूरती एवं आखिरी उम्मीद है।
Indian civilization shows the way of morality and only by following morality a person can control his emotions and perform his duties therefore Indian civilization is as it should be and we do not need to learn anything from anyone.
भारतीय सभ्यता नैतिकता का रास्ता दिखाती है और नैतिकता का पालन करके ही एक व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर सकता है और अपने कर्तव्यों का पालन कर सकता है। इसी वजह से भारतीय सभ्यता वैसी ही है जैसी से होना चाहिए और हमें किसी से कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है।
Gandhiji further says that the human mind is like a restless bird. The more it gets, the more it wants and even after getting everything, it remains unsatisfied therefore our ancestors advised us to be satisfied because they understood that the relation of human happiness is not with resources but with mental state
आगे गांधी जी कहते हैं कि मनुष्य का दिमाग एक बे आराम परिंदे जैसा है। यह जितना पाता है इसे उतना ही अधिक पाने की चाह रहती है और सब कुछ पा लेने के पश्चात भी यह असंतुष्ट ही रहता है इसीलिए हमारे पूर्वजों ने हमें संतुष्ट रहने की सलाह दी क्योंकि वह समझ गए थे कि इंसान की खुशी का संबंध उसके पास उपलब्ध संसाधनों से नहीं बल्कि उसकी मानसिक स्थिति से होता है।
The rich person is not always happy and the poor person is not always hurt. This is the reason why our ancestors always kept us away from joy and comfort so that we can live life contentedly and not be bothered about wanting more.
अमीर व्यक्ति हमेशा खुश नहीं रहता और गरीब व्यक्ति को भी हमेशा दुख नहीं सताता। इसी वजह से हमारे पूर्वजों ने हमें हमेशा आनंद और आराम से दूर रखा ताकि हम संतुष्ट होकर जीवन जी सके और ज्यादा पाने की चाह में परेशान ना रहें।
Gandhiji says that even today we are living in the same hut as we used to live earlier. The nature of education in our country is also the same as it was before. There is no system of competition in our culture because it produces hate. Instead each person does his work regularly and contributes to the society. It is not that our ancestors did not know how to invent machines, but they understood that if we created the machine, we would be engrossed in these inventions and would lose our character therefore he decided that we will depend on our hands and feet because such a lifestyle will give us happiness and health both.
गांधी जी कहते हैं कि आज भी हम उसी प्रकार झोपड़ी में रह रहे हैं जैसे हम पहले रहते थे। हमारे देश की शिक्षा का स्वरूप भी वैसा ही है जैसे पहले था। हमारी संस्कृति में प्रतियोगिता की पद्धति नहीं है क्योंकि इस वजह से द्वेष भावना उत्पन्न होती है। इसके स्थान पर प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य को नियमित रूप से करता है और समाज में अपना योगदान देता है। ऐसा नहीं है कि हमारे पूर्वज यंत्रों का आविष्कार करना नहीं जानते थे परंतु वह समझ गए थे कि अगर हमने नियंत्रण का निर्माण कर लिया तो हम इन्हीं आविष्कारों में उलझे रह जाएंगे और अपना चरित्र खो देंगे। इसी वजह से उन्होंने यह निर्णय लिया कि हम अपने हाथ पैरों पर ही निर्भर रहेंगे क्योंकि ऐसी जीवनशैली हमें खुशी एवं स्वास्थ्य दोनों देगी।
Our ancestors also saw that the big cities were like a net. The people who lived in these cities were also not happy because they were always afraid of thieves and robbers. Evil spreads very fast in the cities. Here rich people robbed the poor and no one was happy. For this reason, they decided to live a life of contentment in a small village, connecting with nature.
हमारे पूर्वजों ने यह भी देखा कि बड़े-बड़े शहर एक जाल के जैसे थे। जो लोग इन शहरों में रहते थे वह भी खुश नहीं थे क्योंकि उन्हें हमेशा चोर और डाकू का डर सताता रहता था। शहरों में बुराइयां बड़ी तेजी से फैलती थी। यहां अमीर लोग गरीबों को लूटते थे और कोई भी खुश नहीं था। इसी वजह से उन्होंने छोटे गांव में संतुष्टि से प्रकृति के साथ जुड़कर जीवन जीने का फैसला किया।
Our forefathers saw that the military power of the king was very weak in relation to the power of morality. A few meters of land has no value in front of satisfaction . For all these reasons, our ancestors chose a normal life.
हमारे पूर्वजों ने यह देखा कि राजा की सैन्य शक्ति नैतिकता की शक्ति के सामने बहुत ज्यादा कमजोर थी। जीवन की संतुष्टि के आगे कुछ कदम धरती का कोई मोल नहीं था। इन्हीं सब वजहों से हमारे पूर्वजों ने सामान्य जिंदगी को चुना।
Gandhiji further says that the country whose civilization is so developed and excellent, instead of learning from the world, it needs to be taught to the world.
आगे गांधी जी कहते हैं कि जिस देश की सभ्यता इतनी विकसित एवं उत्कृष्ट हो उसे विश्व से सीखने की बजाये विश्व को सिखाने की जरूरत है।
Gandhiji says that even in the time of our ancestors, there were doctors and lawyers, but they did not consider themselves high and other low. They knew that this knowledge of them was for the service of the people and not to boost their ego.
गांधी जी कहते हैं कि हमारे पूर्वजों के समय में भी वैद्य तथा वकील हुआ करते थे परंतु वह खुद को ऊंचा एवं अन्य लोगों को नीचा नहीं समझा करते थे। वह जानते थे कि उनका यह ज्ञान लोगों की सेवा के लिए है ना कि उनके अहंकार को बढ़ावा देने के लिए।
Promoting morality is the specialty of Indian civilization whereas Western civilization promotes immorality. Western civilization does not believe in God whereas God has a special place in Indian civilization. Due to all these reasons, Indian civilization is one of the most developed civilizations in the world and it is the duty of all Indians to live life according to their civilization and promote its propagation.
नैतिकता को बढ़ावा देना भारतीय सभ्यता की विशेषता है जबकि पश्चिमी सभ्यता अनैतिकता को बढ़ावा देती है। पश्चिमी सभ्यता भगवान पर विश्वास नहीं करती जबकि भारतीय सभ्यता में ईश्वर का एक खास स्थान है। इन सभी वजहों से भारतीय सभ्यता विश्व की सबसे विकसित सभ्यताओं में से एक है और सभी भारतीयों का यह कर्तव्य है कि वह अपनी सभ्यता के अनुसार जीवन जिए एवं इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दें।
Gandhiji further says that it is not that I hate western civilization, but I have learned a lot from western civilization. Western literature has taught me that if India is to be taken to its best heights, the people of India will have to stay away from modern civilization at all costs.
आगे गांधी जी कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि मैं पश्चिमी सभ्यता से नफरत करता हूं बल्कि मैंने पश्चिमी सभ्यता से बहुत कुछ सीखा है। पश्चिमी साहित्य ने मुझे सिखाया है कि अगर भारत को इसकी सर्वोत्तम ऊंचाई तक ले जाना है तो भारत वासियों को हर कीमत पर आधुनिक सभ्यता से दूर रहना पड़ेगा।
Modern civilization is only concerned with the worship of objects. This is complete materialism therefore I want all Indians to stay away from it
आधुनिक सभ्यता केवल वस्तुओं की पूजा से संबंधित है। यह पूर्ण रूप से भौतिकवाद है इसीलिए मैं चाहता हूं कि सभी भारतीय इससे दूर रहे
Gandhiji further says that it is unnecessary to compare two different civilizations because Westerners have developed such civilization which they like and Indians have developed such civilization which they like, both are right in their own place.
आगे गांधी जी कहते हैं कि दो अलग-अलग सभ्यताओं की तुलना किया जाना अनावश्यक है क्योंकि पश्चिमी लोगों ने ऐसी सभ्यता विकसित की है जो उन्हें पसंद है एवं भारतीयों ने ऐसी सभ्यता विकसित की है जो उन्हें पसंद है दोनों ही अपनी अपनी जगह पर ठीक है।
The main feature of modern civilization is that it enhances the desires of man, whereas ancient civilization restrains the desires of man. In modern civilization, man’s will power is weak and he compromises his character for a moment’s happiness, whereas ancient civilization teaches to live with character.
आधुनिक सभ्यता की मुख्य विशेषता यह है यह मनुष्य की इच्छाओ में वृद्धि करती है जबकी प्राचीन सभ्यता मनुष्य की इच्छाओं पर लगाम लगाती हैं। आधुनिक सभ्यता में मनुष्य की संकल्प शक्ति कमजोर होती है और वह पल भर की खुशी के लिए अपने चरित्र से समझौता कर लेता है जब की प्राचीन सभ्यता चरित्र के साथ जीना सिखाती है।
Gandhiji further says that there is something in Hindutva which has kept it alive till now, otherwise if we look around us then Babylon, Syria, Paras and Egypt, all these civilizations are almost over but Hindutva is still alive. This is because other civilizations sought their happiness and progress in external things whereas Hinduism always promoted to look within for understanding and satisfaction.
आगे गांधी जी कहते हैं कि हिंदुत्व में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर है जिसने सभ्यता को अभी तक जिंदा रखा हुआ है वरना अगर हम अपने आसपास देखें तो बेबीलोन, सीरिया, पारस और मिस्र यह सभी सभ्यताएं लगभग खत्म हो चुकी हैं परंतु हिंदुत्व अभी भी जिंदा है ऐसा इसीलिए है क्योंकि अन्य सभ्यताओं ने बाहरी चीजों में अपनी खुशी एवं तरक्की को तलाशा जबकि हिंदुत्व हमेशा स्वयं के अंदर झांक कर स्वयं को समझने एवं संतुष्ट रहने पर बल देता रहा।
European civilization is friendly to Europeans, but if we Indians imitate them, we will be completely ruined. To some extent, convenience is fine, but if it is exceeded, it can cause problems. Too many desires always trouble the man and therefore all Indians should live their lifestyle according to the ancient culture so that they can live with satisfaction and happiness for a long time.
यूरोपीय सभ्यता यूरोप वासियों के लिए अनुकूल है परंतु अगर हम भारतीय उनकी नकल करेंगे तो हम पूर्ण रूप से बर्बाद हो जाएंगे। कुछ हद तक सहूलियत ठीक है लेकिन अगर यह हद से ज्यादा हो जाए तो परेशानी का कारण बन सकती है। बहुत सारी इच्छाएं हमेशा मनुष्य को परेशान करती हैं और इसी वजह से सभी भारतीयों को प्राचीन संस्कृति के अनुसार अपनी जीवनशैली जीनी चाहिए ताकि वह लंबे समय तक संतुष्टि एवं खुशी के साथ रह सके।